Right in property...! | After Lockdown..!

 Grandmother (Dadi/ दादी)

कैसे हो आप सभी..?
उम्मीद है आप सभी अच्छे होंगे...
मैं lockdown के बाद आज आपके लिए
एक सवाल ऐसा है। जो मैं आप सभी से साझा करना चाहता हूं...।

सवाल:: 

क्या किसी भी माता पिता के संपत्ति पर अधिकार सिर्फ उनके बेटे का ही होता है. अगर "हां " तो दादा दादी पोतों को अपने समीप रख उनका जीवन क्यों बर्बाद करते है..?


कहानी पर आते हैं...


बात एक ऐसे परिवार की, जिस परिवार में एक बूढ़े माता पिता जिनके 6 बेटे, 6 बहुएं और उनके बच्चे.
घर का एक बड़ा पोता जिसको बड़े नाजों से पाला पोसा गया। 
दादा के गुजर जाने के बाद, पोता घर में हुए सम्पत्ति को ले कर बातें चलने लगी.. 
पोता इस गुस्से में घर से चला गया, और घर की कोई खबर नहीं लिया,  बोहोत दिनों बाद जब पोता वापस घर आया तो घर में जो पहले झगड़ा होने के बाद एक दूसरे से बात भी करते थे,  अब ऐसा है के एक ही चार दिवारी में 3 अलग अलग परिवार रहते है और 3 बाहर शहर में । लेकिन आज ये परिवार नही, पड़ोसी के तरह रहते है । 

एक तरफ दादी के 6 बेटे 6 बहुएं और उनके सभी बच्चे, कोई भी दादी के साथ नही..

हर एक परिवार का सदस्य एक अलग ही कहानी बता रहा..
पोता ये सब देख कर अचंभित रहने लगा , 
ऐसा पहले भी उसने देखा था दादा जी की जीवित होने पर , लेकिन आज कुछ और ही दिख रहा । इस सभी बातों से परेशान घर का जो सबसे बड़ा पोता सभी को इस बात की जानकारी देना उचित समझा लेकिन , हर कोई बस सुन्नकर रह गया , किसी ने कुछ भी ख्याल नही किया अपनी मां का।
कुछ भी कहने पर एक ही काम मिलता, डॉक्टर को दिखा दो। 
दावा खाती रहेगी ।
लेकिन यहां जरूरत डॉक्टर की नही , खाना खिलाने वाले की है दावा खिलाने वाले की है।
इस बूढ़ी दादी को देखने के लिए एक बेटा या बहु,  एक पोता या पोती को भी नही देखता की ।

जिस मां ने अपने सभी बेटों को खाना खिलाने के बाद खाया करती थी आज उसे खाना खिलाने वाला कोई नहीं। 
उसकी खैरियत फोन कॉल के जरिए पूछ लिया जाता है..

इधर दादी को भोजन का  खुशी से एक निवाला भी खाने की लिए नसीब नहीं...।

पोता ये सब देख,  "दादी " जिसने सभी का खयाल रखा आज उनका ख्याल रखने वाला कोई नहीं..
पोता दादी का ख्याल रखने में लगा रहा ,  कुछ काम भी नही करता था, क्यों की जब कुछ करना था तब दादा दादी में अपने पास रखा , अपनी जरूरत के लिए,  जिस कारण आज पोता के पास आय का कोई श्रोत नहीं था। 
......................................

गर्मियों का महीना था , पोते को एक – दो कपड़े की जरूरत थी.. । पोते ने यूं ही पूछ डाला अपनी दादी से , कुछ कपड़े खरीदने है, पैसे मिल सकते है..?

दादी बोल पड़ती है, "नही " जाओ अपने पिता से मांगों, सारा पैसा संपत्ति वो ले गया है।  

यहां दादी जो की घर की सभी संपति के मालिक होने के बावजूद ऐसा अपने पोते को कहती है। 

पोता ये सोच में पर गया के दादी का कोई बेटा या कोई औलाद जो इनको देखने नही आता है ठीक से , मेरा जीवन सिर्फ पोते को बड़ा करने में, खाना खिलाने और घर का काम करवाने और अपने सुख के लिए पोतों अपने पास रख उससे कामयाब होने में बाधा भी मिला ,फिर भी पोता उस दादी के सेवा में है।
और ये दादी से प्यार की उम्मीद भी नही कर सकता।

आज पोते को ये अहसास हुआ के ,...!
बेटा तुम अपना सब देखो यहां , कुछ भी कर लो, निस्वार्थ भाव से भी करोगे तो तुम्हें सिर्फ एक कुत्ते की तेरह 4 टाइम का भोजन मिल रहा यही तुम्हारी तकदीर है। इसके अलावा अपनी सभी इच्छाओं के लिए आपको जुबान नही , घर से बाहर  स्वतंत्र  दुनियां की भीड़ में कुछ काम कर अपनी खुवाइश को पूरा करना होगा। 
आप अपने घर , परिवार वालो से प्यार की, खुसियों की उम्मीद नहीं कर सकते...

आज यह समझ आया: मां कैसी भी हो, सिर्फ अपने बेटे को ही संपत्ति से कुछ दे सकती है, चाहे बेटा उससे दुःख, दर्द, अकेलापन , आंसू  सब दे रहा , लेकिन एक मां अपनी खुशी के लिए अपनी संपत्ति का एक टुकड़ा भी अपने बेटे के अलावा किसी को नही दे सकती..! भले ही सारी की सारी बांते दे दे लेकिन पैसा संपत्ति सिर्फ अपने बेटे को ही देगी..

दादा जी ने सिखाया था, 
घर का हर सदस्य परिवार होता है, जरूरत पड़ने पर सभी की मदद या ख्याल रखना चाहिए..

लेकिन आज
परिवार, से पड़ोसी बन गया,
बेटा, मालिक बन गया,
भाई, जानने वाले बन गए,
पोता, देखभाल करने वाला कुत्ता।

अब सभी स्वतंत्र है
Indipendent हैं..

Erudite..!

Kahaniyan bohot hai , Likhne ki aadat nahi...
Thank You 😊






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