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Student's Life / Life's Cercal ( श्रृष्टि)

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 आज सुबह की बात है.. कल पूरी रात बारिश हुई है । मैं घर से निकला तो देखा लकड़ी की पलंग भीग चुकी है. गलती मेरी है मुझे पहले ही सुरक्षित कर देना था. तो ये नौबत नहीं आती..! सुबह की ताजी हवा के लिए रोज की जैसे निकला । देखा चौंकी भीगी है.. मैने उसे उठा कर बगल करना चाहा लेकिन वो" चौंकी टूट " गई. फिर भी जितना हुआ उतना कर दिया और घूमने निकल गया..    लगभग सुबह के 8:38 के आस पास समय हो रही होगी . घर दरवाजे पर हांथ में झाड़ू लिए घर की *मालकिन "दादी" * बैठी है. पोती सारा काम खत्म कर निकली .. तभी मैं आया तो पूछा ; " दवाई और नाश्ता" ? दादी : हां सब हो गया। मैं: देखिए ये लकड़ी जी चारपाई चौकी टूट गई..! किसकी थी ये.? उनको जानकारी दे दी जाए. बनाने की बात बोलने पर. दादी: एक दिन की मजदूरी देना. मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं: हां तो काम करेगा तो लेगा.. कुछ दिन और इस लकड़ी का उपयोग किसी और काम में ले आया जाए.. लकड़ी बोहुत महंगी भी तो है..! अखरी निशानी है क्वार्टर की. दादी: फेको; अपना नही है.. । मैं : बहुत पूछने पर. दादी : बेटे ने स्टूडेंट लाइफ में पढ़ने के लिए लिए थे. जब पढ़ाई