मां का त्योहार बेटे के लिए। आज कुछ दिन ही ऐसा था, जो हर मां अपने बच्चे के लिए करती है। वो अपना बच्चा हो या परिवार के भी किसी सदस्य का बेटा, बेटे का बेटा हो या अपना बेटा, पोते का पोता ही क्यों न हों । बस बेटा जिसे कह सके ऐसी मां या मां की मां , कोई ऐसी मां जो किसी को बेटा कहती हो ऐसी हर मां । उसी एक बेटे की कहानी। हर दिन के तरह आज भी “ समय पे सुबह हुई, सभी अपने – अपने समय के साथ चल रहा था। हर सुबह की तरह सूर्य के साथ सभी बेटे निकल गए। सब सही चल रहा था । एक - एक कर सारे काम हो रहे थे। काम भी समाप्ति की कगार पे थी। अचानक एक फोन आया । ऐसा कभी नहीं होता ! वैसा कुछ हुआ ..!। यह देख कोई भी बेटा अचंभित हो जाएगा।, जैसे हुआ आज ! , जो कभी भी नहिं हुआ हो। “ फोन उठाते आवाज़ आई मां की “ कहां हो . ? घर आओ देर हो रही है ! बेटे ने कहा “क्या हो गया , कोई काम है क्या ?” मां बोली उधर से “नहीं कोई काम नहीं है, सुबह के 9:30 हो रहे है। कब आएगा , आओ ।! बेटे ने कहा “ ठीक है ! कोई काम है तो बताओ । न तो आते है थोड़ी देर में । क्या बात है बोलो मां ।? “ कुछ भी नहीं ठीक है सब , आओ...